Wednesday 17 October 2018

सबरीमला: सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला भी क्यों नहीं हो रहा लागू

सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की इजाज़त भले ही दे दी हो, लेकिन केरल में एक तबका ऐसा भी है जो इस फ़ैसले की राह में दीवार खड़ी करता हुआ दिख रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताया था.
संवैधानिक बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि संविधान के मुताबिक़ हर किसी को, बिना किसी भेदभाव के मंदिर में पूजा करने की अनुमति मिलनी चाहिए.
देश भर में युवा महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले का स्वागत किया. इसके बाद अब 17 अक्टूबर को देश के अलग-अलग हिस्सों से महिलाएं मंदिर के दर्शन के लिए पहुंच रही हैं.
लेकिन बीजेपी समर्थित महिलाओं के समूह ने अपने विरोध प्रदर्शन के तहत सबरीमला मंदिर तक जाने वाले रास्ते पर आ रही गाड़ियों को रोककर चेक करना शुरू कर दिया है.
भगवान अयप्पा से जुड़े नारे लगाती हुईं ये महिलाएं गाड़ियों की तलाशी ले रही हैं ताकि 10 से 50 साल की उम्र के बीच की महिलाओं को मंदिर की ओर जाने से रोका जा सके.
वहीं, मंदिर के नज़दीकी गांव नीलाकल में लगभग 100 महिलाओं-पुरुषों का जमावड़ा लगा हुआ है जो इस विरोध प्रदर्शन से हटने का नाम नहीं ले रहा.
नीलाकल गांव के आसपास भगवा झंडे देखे जा सकते हैं. बीजेपी के समर्थन वाले हिंदू संगठनों ने स्थानीय महिलाओं और पुरुषों को अपने विरोध प्रदर्शन में शामिल करना शुरू कर दिया है.
विरोध प्रदर्शन करती हुई महिलाओं का समूह कह रहा है कि भगवान अयप्पा के ब्रह्मचारी होने की वजह से ऐसी महिलाओं जो कि मासिक धर्म से गुज़र रही हों, उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए.
प्रदर्शनकारी राज्य सरकार से मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार को इस बारे में सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पीटिशन डालनी चाहिए.
लेकिन, केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने ऐलान किया है कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला मानेगी और रिव्यू पीटिशन फाइल नहीं करेगी.
ऐसी ही एक प्रदर्शनकारी लेलिथम्मा कहती हैं, "हम मंदिर की ओर आने वाली सभी गाड़ियों को चेक करना चाहते हैं. अगर हम 10 से 50 साल की उम्र वाली किसी महिला को देखेंगे तो उसे मंदिर के दर्शन करने की इजाज़त नहीं देंगे. हम चाहते हैं कि ये परंपरा ऐसे ही चलती रहे. अगर युवा महिलाएं मंदिर के दर्शन करना चाहती हैं तो उन्हें 50 साल की उम्र तक होने तक इंतज़ार करने देना चाहिए."
इन प्रदर्शनकारियों ने समर्थकों से भरी हुई निजी गाड़ियों से लेकर सरकारी बसों को भी रास्ते में ही रोक दिया है.
इसके साथ ही महिला प्रदर्शनकारियों ने एक गाड़ी में दो पुरुषों और एक वृद्ध महिला के साथ बैठी दो लड़कियों को भी नीलाकल गांव छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया. प्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले का विरोध करने वाली एक युवा महिला निशा मनी कहती हैं, "मैं यहीं पैदा हुई हूं और बड़ी हुई हूं. मैं कभी भी इस मंदिर में नहीं गई जबकि मेरे घर के पुरुष मंदिर जा चुके हैं. मैं यहां इस जंगल के बीच रह रही हूं. यहां से मंदिर जाने के तमाम रास्ते हैं, लेकिन मैं कभी मंदिर नहीं गई क्योंकि यही परंपरा है. हम युवा महिलाओं को मंदिर जाने से रोकने के लिए सभी गाड़ियों को रोक देंगे. "
वहीं, कुछ प्रदर्शनकारियों ने ये ऐलान भी किया है कि अगर युवा महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति मिली तो वह सामूहिक आत्महत्या करेंगी.
नीलाकल गांव के पास एक दुकान चलाने वाले एस. जयसन इस पूरे विरोध प्रदर्शन से थोड़े चिंतित हैं क्योंकि उनका मोहल्ला इस वजह से केरल की सबसे विवादित जगह बन गई है.
जयसन कहते हैं, "यहां पर कई लोग इस फ़ैसले का विरोध नहीं कर रहे हैं. एक लंबे समय से महिलाओं को इस मंदिर में प्रवेश की इजाज़त नहीं थी. लेकिन अब उन्हें इसकी इजाज़त मिल गई है. ऐसे में कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि सरकार उन धर्मार्थियों को सुरक्षा प्रदान करेगी जो मंदिर जाकर पूजा करना चाहते हैं."अक्टूबर को देश के अलग-अलग हिस्सों से सबरीमला मंदिर के भक्त यहां पहुंचकर दर्शन करना चाहते हैं.
हालांकि, महिला भक्तों को मंदिर से छह किलोमीटर दूर स्थित पंपा नामक जगह पर पहुंचकर गणेश अर्चना की इजाज़त है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद प्रदर्शनकारी महिलाओं को पंपा भई नहीं आने दे रहे हैं.
इसी बीच केरल महिला आयोग की अध्यक्ष ए सी जोसफ़ाइन ने स्थानीय मीडिया को बताया है कि महिलाओं को मंदिर में जाने से रोकना सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ होगा और आयोग शिकायत करने वाली महिलाओं के मामलों की जांच करेगा.

No comments:

Post a Comment